जूते कहाँ उतारे थे

छोटी छोटी छित्रायीं यादें
बिछी हुई हैं लम्हों की लवण पर
नंगे पैर उनपर चलते चलते
इतनी दूर आ गए हैं
की अब भूल गए
जूते कहाँ उतारे थे

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